धन योग इन कुंडली

घन-योग का निर्धारण कुंडली में हस्त- रेखा, समय , ग्रह, राशि व खगोलीय अक्षांश से होता है। जन्म- कुंडली, स्थान से घन-योग, की गणऩा की जा सकती है। सूर्य कुंडली व चन्द्र कुंडली में धन के विशेष योग बनते है। चन्द्र कुंडली में जब द्वितीयेश एकादशेश, एक साथ नवमेश द्वारा दृष्टा हो तब व्यक्ति धनवान होता है।

धन योग इन कुंडली

धन योग इन कुंडली

कुंडली में शुक्र राशि का स्थान महत्वपूर्ण होता है। कुंडली में धन का भाव द्वितीय होता है। नवा भाव भाग्य का होता है। दशम भाव कर्म का होता है। शुक्र का स्थान जब दिवितीय भाव, हो तब, कुंडली में धन का महतवपूर्ण स्थान होता है। जिनकी कुंडली में नवे और दसवे भाव के ग्रह उच्च होते है, तब राजयोग बनता है।

ज्योतिष आंकलन के अनुसार,जिन व्यक्तियों की कुंडली में राजयोग बनता है। वह उच्च- स्तरीय मंत्री, साहित्यकार, कला में उन्हें उच्च सम्मान मिलता है।

1 शुक्र द्वितीय भाव में हो, गुरु सातवें भाव में चौथे भाव में चर्तुर्थमेश स्थित हो तब व्यक्ति राजा वाला जीवन जीता है।

2 लग्नेश मंगल, कर्मेश यानि शनि भाववेश गुरु  पंचम में हो तो धन योग है।सूर्य पंचम भाव में , चन्द्र पंचम एकादश भाव में, तब मेंष लग्न का जातक धन योग पाता है।

3-मिथुन में शुक्र, मीन में बुध तथा गुरु केंद्र में हो, वृष लग्न में अचानक धन योग बनता है। वृष लग्न में शनि और बुध दुसरे भाव कि मिथुन राशि में हो तब प्रचुर मात्रा में धन मिलता है।

4-मिथुन लग्न के लिए, नवे भाव में बुध और शनि की युति अच्छा धन योग बनाती है। चंद्रमा उच्च का हो तो पैतृक धन लाभ होता है।

5-कर्क लग्न में अगर शुक्र दुसरे और बारहवें स्थान पर हो तो जातक धनवान होता है। गुरु अगर शत्रु भाव में हो और केतू के साथ युति बना रहा हो तब व्यक्ति धनवान होता है।

6- कुंडली में लग्न सिंह हो शुक्र चंद्रमा के साथ नवमांश कुंडली में बली अवस्था में हो। जातक व्यापार  द्वारा धन कमाता है।

7- सिंह लग्न में शुक्र बली होकर मंगल के साथ चौथे भाव में स्थित हो तब जातक धन कमाता है।

8- कन्या लग्न में शुक्र और केतू दुसरे भाव हो तो अचानक धन लाभ होता है। कुंडली में यदि चन्द्र कर्म भाव में लग्न बुध के साथ शुक्र दुसरे भाव में हो तब जातक अच्छी सम्पन्न स्थित में होता है।

9- तुला लग्न में दुसरे भाव में शुक्र और केतू हो तो जातक को खूब धन संपति प्राप्त होती है। मंगल, शुक्र और शनि, राहू बारहवें स्थान पर हो तो प्रचुर धन राशि प्राप्त होती है। कुंडली में बुध और गुरु पांचवे में हो तो, और चंद्रमा एकादश में हो, जातक करोड़पति होता है। गुरु चंद्रमा और केतू में दसवे स्थान पर हो तो जातक धनवान और भाग्यवान होता है।

10- धनु लग्न के लिए  योग, कुंडली में चन्द्रमा आठवें भाग में स्थित हो, सूर्य, शुक्र, शनि कर्क राशि में स्थित हो, तो जातक को प्रचुर राशि में धन उपलब्ध होता है। इसके साथ गुरु बुध लग्न मेषों तथा सूर्य शुक्र दुसरे भाव में, मंगल राहू छठे भाग में हो तो धन लाभ प्राप्त होता है।

11-  मकर लग्न के लिए धन योग, तब होता है, जब कुंडली में चंद्रमा और मंगल एक साथ केंद्र भावों में हो। यह भी कह सकते है, कि यह ग्रह त्रिकोणीय भावों में हो या धनेश तुला राशि में, उच्च मंगल स्थित हो तो व्यक्ति करोडपति बनता है।

12- कुंभ लग्न के लिए धन योग कर्म भाव अर्थात दसवे भाव में चन्द्र और शनि की युति व्यक्ति को धनवान बनाते है। यदि शनि लग्न भाव में और मंगल छठे भाव में तब जातक को कुंडली धनवान बनाती है।

13-मीन लग्न के लिए योग, जातक की कुंडली के अनुसार कुंडली के दुसरे भाव में चंद्रमा, पांचवे भाव में मंगल हो तो अच्छे धन का लाभ होते है। इस पर गुरु छठे भाव में, शनि बारहवे भाव में और  चंद्रमा एकादशेश में हो तो जातक को कुबेर समान धन मिल जाए।

कुंडली में कुछ अन्य धन योग

1-पंचमहापुरुष योग— कुंडली में पंच महापुरुष योग, मंगल, बुध, ब्रहस्पति, शुक्र, शनि में से कोई एक ग्रह केंद्र में स्वग्रही मूल त्रिकोण या उच्च का हो कर स्थित हो तो इस योग से जातक ऐश्वर्य और वैभव पाता है।

2 –अमला योग में चन्द्रमा से अथवा लग्न से दशम भाव में शुभ- ग्रह विराजमान होता है। ऐसा व्यक्ति गरीबी में जन्म ले कर बल और भाग्य से धनवान बनता है।

3-अखंड साम्राज्य योग— कुंडली में एकादशेश ब्रहस्पति हो, और द्वितीय और नवमेश में से कोई एक स्थान चंद्रमा से केंद्र में हो तो जातक की कुंडली मेंअखंड साम्राज्य योग होता है।

4-लक्ष्मी योग—कुंडली में जब नवमेश,लगननेश, तथा पंचमेश में युति का निर्माण होता है। ऐसे योग में जातक पर माँ लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहती है।

गजकेसरी योग— इस योग का निर्माण गुरु से चन्द्र के केंद्र में होने से होता है। इस योग से व्यक्ति को धन, मान, सम्मान सब मिलता है।

कुंडली में धन योग हो तो कर्म भी सुंदर हो जाते है। भाग्य और कर्म के साथ जातक धनी हो और वो धन बढे और स्थिर हो जाए तो, ऐसे व्यक्ति को भाग्यवान कहते है। दूसरी ओर अगर व्यक्ति धनहीन है, तो भाग्यहीन होता है। निराशा में जीवन जीने से अच्छा होता है, आशावान बन कर जीवन कर्म के साथ ईश्वर में आस्था रख कर जीये।

ज्योतिष में सोए भाग्य के उदय के लिए, कुछ उपाय जिन्हें आप घन प्राप्ति के उपाय भी कह सकते है।

1 लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने ग्यारह दिनों तक अखंड- ज्योति प्रज्वलित करें। ग्यारवें दिन ग्यारह कन्याओं को भोजन के साथ एक सिक्का दे। दिया केवल तेल का हो।

2-बाँसुरी घर में रखे यह घर में सुख समृधि का प्रतीक है।

3-प्रत्येक शनिवार को घी का दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे जला कर, सुगँधित अगरबती रखे।

4- श्रद्धा और विश्वास से  तुलसी पर दिया प्रत्येक शुक्रवार जलाए, लक्ष्मी पूजन करें।

5- प्रत्येक बुधवार गणेश, जी को बेसन के लड्डू का भोग लगाए। गणेश पूजन में फल या गुड़ और चने

का दान करें, जिस से धन प्राप्ति हो सकती है।  अच्छे कर्मो कर पूजन करें।